अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत H-1B वीजा पर हर पेशेवर से $1,00,000 (लगभग 88 लाख रुपये) का अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। यह आदेश 12 महीने के लिए लागू होगा और बढ़ने की संभावना है। यह कदम टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इनफोसिस, विप्रो और टेक महिंद्रा जैसी भारतीय आईटी कंपनियों को प्रभावित करेगा, जो हर साल हजारों कर्मचारियों को H-1B वीजा के जरिए अमेरिका भेजती हैं, जबकि अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर, एक कंपनी को 2025 में 5,000 से ज्यादा H-1B वीजा मिले, लेकिन उसने 15,000 अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी से हटाया। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस फैसले के प्रभावों का अध्ययन शुरू किया है और हितधारकों से परामर्श कर रहा है ताकि मानवीय और आर्थिक प्रभाव कम से कम हो सकें।











