केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में कार्यकारी निदेशक (ED) नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है। उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। पटेल इस पद पर के.वी. सुब्रमण्यन का स्थान लेंगे, जिनकी सेवाएं सरकार ने उनके निर्धारित कार्यकाल से छह महीने पहले, 30 अप्रैल 2025 से समाप्त कर दी थीं।
28 अगस्त 2025 को जारी आदेश के अनुसार, यह नियुक्ति कार्यभार ग्रहण की तिथि से तीन वर्षों के लिए अथवा अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी।
आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड 25 निदेशकों से मिलकर बना है, जिन्हें सदस्य देशों या उनके निर्वाचन समूहों की ओर से चुना जाता है। भारत के साथ इस समूह में बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान शामिल हैं।
उर्जित पटेल इससे पहले एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (AIIB), बीजिंग में निवेश संचालन (क्षेत्र 1) के उपाध्यक्ष रहे। उन्होंने जनवरी 2024 में पारिवारिक स्वास्थ्य कारणों से इस पद से इस्तीफा दिया था।
2016 में पटेल ने रघुराम राजन के बाद आरबीआई के 24वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला था, लेकिन दिसंबर 2018 में सरकार के साथ लाभांश हस्तांतरण विवाद के बीच उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके पूर्व वे रिज़र्व बैंक में डिप्टी गवर्नर रहे और मौद्रिक नीति, आर्थिक अनुसंधान, सांख्यिकी, जमा बीमा एवं संचार जैसे विभागों का दायित्व Sambhala।
1963 में जन्मे पटेल का लंबा अनुभव सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों में रहा है। उन्होंने वित्त मंत्रालय में सलाहकार (1998-2001) के रूप में कार्य किया और साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईडीएफसी लिमिटेड, एमसीएक्स लिमिटेड तथा गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन जैसी संस्थाओं से भी जुड़े रहे।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बात करें तो पटेल ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से 1986 में एमफिल और 1990 में येल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। पीएचडी के बाद वे आईएमएफ से जुड़ गए और 1990 से 1995 तक अमेरिका, भारत, बहामास और म्यांमार डेस्क पर कार्य किया।











