उपराष्ट्रपति चुनाव पर पार्टियों की सक्रियता बढ़ी,चुनाव आयोग तैयारी में जुटा

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भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किए जाने के साथ ही सरकार के रणनीतिकार विपक्ष से भी संपर्क साधेंगे और अपने उम्मीदवार के नाम पर आम राय बनाने का प्रयास करेंगे। हालांकि यह केवल औपचारिकता भर है क्योंकि विपक्ष यह स्पष्ट कर चुका है कि वह अपना उम्मीदवार खड़ा करेगा। उपराष्ट्रपति चुनाव मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में शक्ति परीक्षण का पहला बड़ा मौका है और विपक्ष इसे अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता। अभी तक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को बीजेडी, वायएसआरसीपी, बीआरएस, टीएमसी जैसे दलों का समर्थन कभी-कभार मिलता रहा है लेकिन अब हालात उलट हैं। बीजेपी के हाथों ओडीशा में सत्ता गंवा चुकी बीजेडी अब किसी भी तरह से समर्थन देने के मूड में नहीं है। वहीं बीजेपी को इस बार लोकसभा में अपने बूते बहुमत नहीं मिला और वह प्रमुख रूप से टीडीपी और जेडीयू के समर्थन पर निर्भर है। ऐसे में विपक्ष चाहेगा कि वह एनडीए को कड़ी टक्कर दे। मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर विपक्ष की एकजुटता दिख रही है और इस मुद्दे पर बीजेडी और आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं। विपक्ष इस एकता को उपराष्ट्रपति चुनाव में भी बनाए रखना चाहेगा।

इस बीच, एनडीए ने अपने उम्मीदवार के पक्ष में अधिकतम मतदान की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है। उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले तीन दिनों तक दिल्ली में संसद भवन में सभी सांसदों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सांसदों को वोट डालने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में लोक सभा और राज्य सभा दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं। एनडीए का लक्ष्य होगा कि अपने उम्मीदवार के लिए अधिकतम मत सुनिश्चित किए जाएं। पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ रिकॉर्ड मतों से निर्वाचित हुए थे.

जेल में बंद दो सांसद उपराष्ट्रपति चुनाव में कर सकेंगे मतदान

उपराष्ट्रपति पद के लिए नौ सितंबर को होने वाले चुनाव में लोकसभा के दो सदस्यों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए डाक मतपत्र दिए जाएंगे। उपराष्ट्रपति चुनाव के नियमों के अनुसार केवल वे मतदाता जो ऐहतियाती हिरासत (प्रिवेंटिव डिटेंशन) में हैं, डाक मतपत्र के माध्यम से मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। दो लोकसभा सदस्य – शेख अब्दुल रशीद (बारामूला) और अमृतपाल सिंह (खडूर साहिब) – अलग- अलग जेलों में  बंद हैं। ये दोनों उपराष्ट्रपति चुनाव में अपना वोट डालने के पात्र हैं।

चुनाव आयोग की तैयारी

चुनाव आयोग ने  उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में हिस्सा लेने वाले निर्वाचक मंडल की सूची को अंतिम रूप देने के साथ ही उपराष्ट्रपति चुनाव कार्यक्रम घोषित किया है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य हिस्सा लेते हैं।  तय नियमों के तहत सभी  वोट का मूल्य एक समान होता है।  सूची संबंधित सदनों के राज्य या संघ क्षेत्र के वर्णानुक्रम में तैयार की गई है।

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए तैयार की गई निर्वाचक मंडल की सूची में कुल 782 सदस्य है। इनमें 542 सदस्य लोकसभा के है, जबकि 240 सदस्य राज्यसभा के है। ऐसे में नए उपराष्ट्रपति पद पर वही व्यक्ति निर्वाचित होगा, जिसके पास 394 सदस्यों का समर्थन होगा। इस गणित से देखे तो राजग के पास दोनों सदनों में कुल 422 सदस्यों का बहुमत है।

उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है, बल्कि वह राज्यसभा का पदेन सभापति (Ex-officio Chairman) होता है. इसका मतलब है कि उपराष्ट्रपति का पद संभालने के साथ ही वह राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्य करता है, लेकिन वह राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है।

उपराष्ट्रपति को चुनने के लिए राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य वोट डालते है. इसमें मनोनीत सदस्य भी वोटिंग करते हैं. उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार को 15 हजार रुपए जमानत राशि जमा करनी पड़ती है. अगर चुनाव में वो 1/6 फीसदी वोट हासिल नहीं करते हैं तो उनकी जमानत राशि जब्त हो जाती है.

उपराष्ट्रपति का निर्वाचन

1. उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होता है। उपराष्ट्रपति के पद के लिए किसी व्यक्ति को निर्वाचित किए जाने हेतु निर्वाचकगण में संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं।*

2. उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होता है। यदि संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है, तो यह समझा जाता है कि उसने उस सदन में अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।

3. कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति तभी निर्वाचित हो सकता है जब वह-

(क) भारत का नागरिक है;

(ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, और

(ग) राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।

कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, वह भी इसका पात्र नहीं है।

4. उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाता है। यदि रिक्ति मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से होती है, तब उस रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात् यथाशीघ्र किया जाता है। इस प्रकार निर्वाचित व्यक्ति अपने पद ग्रहण की तारीख से पूरे पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करने का हकदार होता है।

उपराष्ट्रपति के निर्वाचन का अधीक्षण:

भारत का निर्वाचन आयोग उपराष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचन कराता है।

उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित महत्वपूर्ण उपबंध:

1. अगले उपराष्ट्रपति का निर्वाचन निवर्तमान उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर किया जाना होता है।

2. उपराष्ट्रपति निर्वाचनों को संचालित करने के लिए सामान्यत: नियुक्त निर्वाचन अधिकारी चक्रानुक्रम में संसद के किसी भी सदन का महासचिव होता है। निर्वाचन अधिकारी विहित प्रपत्र में अभ्यर्थियों का नामांकन आमंत्रित करते हुए निर्वाचन के संबंध में इस आशय की सार्वजनिक सूचना जारी करता है और उस स्थान को विनिर्दिष्ट करता है जहां नामांकन पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।

निर्वाचित होने के लिए अर्हित तथा उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन के लिए खड़े होने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम 20 संसद सदस्यों द्वारा प्रस्तावक के रूप में और कम से कम 20 संसद सदस्यों द्वारा समर्थक के रूप में नामित किया जाना अपेक्षित है।

निर्वाचन अधिकारी को नामनिर्देशन पत्र ऐसे स्थान पर व ऐसे समय व तारीख तक प्रस्तुत किये जाने होते हैं जिन्हें सार्वजनिक सूचना में विनिर्दिष्ट किया गया हो। किसी अभ्यर्थी द्वारा या उसकी ओर से अधिकतम चार नामांकन-पत्र प्रस्तुत किए जा सकते हैं या निर्वाचन अधिकारी द्वारा स्वीकार किए जा सकते हैं।

3. उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन चाहने वाले अभ्यर्थी को 15,000/- रू. की जमानत राशि जमा करनी होती है। अभ्यार्थी की ओर से दायर नामांकन पत्रों की संख्या चाहे कितनी भी हो, उसे सिर्फ यही राशि जमा करानी होगी।

4. नामांकन पत्रों की संवीक्षा निर्वाचन अधिकारी द्वारा विनिर्दिष्ट तिथि पर अभ्यर्थी व उसके प्रस्तावक या समर्थक तथा विधिवत् प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में की जाती है।

5. कोई भी अभ्यर्थी विनिर्दिष्ट समय के भीतर निर्वाचन अधिकारी को विहित प्रपत्र में लिखित सूचना देकर अपनी अभ्यर्थिता वापस ले सकेगा।

6. निर्वाचन में निर्वाचक के पास उतनी ही वरीयताएं होती हैं जितने अभ्यर्थी होते हैं। अपना मत डालने में, मतदाता को अपने मत-पत्र पर उस अभ्यर्थी के नाम के सामने दिए स्थान पर अंक 1 अभिलिखित करना अपेक्षित है जिसका चयन वह अपनी प्रथम वरीयता के रूप में करता है और इसके अतिरिक्त वह अपने मत-पत्र पर अन्य अभ्यर्थी के नामों के सामने दिए स्थान पर अंक 2,3,4 इत्यादि अभिलिखित करके उतनी परवर्ती वरीयताएं अभिलिखित कर सकेगा जितनी वह चाहता है। मतों को भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय रूप में या रोमीय रूप में या किसी भारतीय भाषा के रूप में अभिलिखित किया जाना चाहिए, परन्तु शब्दों में नहीं दर्शाया जाना चाहिए।

प्रत्येक मत पत्र प्रत्येक गणना में एक मत व्यपदिष्ट करता है। मतों की गणना की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण सम्मिलित हैं :

(क) प्रत्येक अभ्यर्थी द्वारा प्राप्त किए गए प्रथम वरीयता वाले मतों की संख्या का पता लगाया जाता है।

(ख) इस प्रकार पता लगाई गई संख्याओं को जोड़ा जाता है – योग को दो से विभाजित किया जाता है और किसी भी शेषफल पर ध्यान न देते हुए भागफल में एक जोड़ा जाता है। परिणामी संख्या ऐसा कोटा होती है जो कि निर्वाचन में अपनी वापसी सुनिश्चित करने के लिए किसी अभ्यर्थी के लिए पर्याप्त है।

यदि प्रथम या किसी परवर्ती गणना के अंत में, किसी अभ्यर्थी के जमा वोटों की कुल संख्या कोटे के बराबर या इससे अधिक हो, तो उस अभ्यर्थी को निर्वाचित घोषित किया जाता है। यदि किसी गणना के अंत में, किसी भी अभ्यर्थी को निर्वाचित घोषित नहीं किया जा सके, तो, इस चरण तक जिस अभ्यर्थी को सबसे कम संख्या में मत मिले हों, उसे चुनाव से अपवर्जित कर दिया जाएगा, और उसके सभी मतपत्रों की एक-एक करके, पुन: संवीक्षा की जाएगी जो कि उन पर अंकित दूसरी वरीयता, यदि कोई हो, के संदर्भ में होगी। इन मतपत्रों को उन संबंधित शेष (अविच्छिन्न) अभ्यर्थियों को अंतरित कर दिया जाएगा जिनके लिए ऐसी दूसरी वरीयताएं मतपत्रों पर अंकित की गई हैं और उन मत पत्रों के वोटों के मूल्य को ऐसे अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त मतों के मूल्य में जोड़ दिया जाएगा। इन मत पत्रों को पूर्वोक्त अविच्छिन्न अभ्यर्थियों को अंतरित कर दिया जाएगा। जिन मत पत्रों पर दूसरी वरीयता अंकित नहीं की जाती है, उन्हें समाप्त मत पत्र मान लिया जाएगा और आगे उनकी गणना नहीं की जाएगी चाहे उनमें तीसरी या कोई परवर्ती वरीयता अंतर्विष्ट हो। यदि इस गणना के अंत में, कोई अभ्यर्थी कोटा प्राप्त कर लेता है, तो उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा। यदि दूसरी गणना के अंत में भी, किसी अभ्यर्थी को निर्वाचित घोषित न किया जा सके, तो यह गणना ऐसे अभ्यर्थी को अपवर्जित करके आगे जारी रखी जाएगी, जो अब इस चरण तक सूची में सबसे नीचे हो। उसके सभी मत पत्रों, जिनमें ऐसे मत पत्र सम्मिलित हैं, जिन्हें उसने दूसरी गणना के दौरान प्राप्त किया हो, की पुन: संवीक्षा की जाएगी जोकि उनमें से प्रत्येक पर अंकित “अगली उपलब्ध वरीयता” के संदर्भ में होगी। यदि पहली गणना में उसके द्वारा प्राप्त मत पत्र पर, अविच्छिन्न अभ्यर्थियों में से किसी अभ्यर्थी के लिए दूसरी वरीयता अंकित है, तो इसे उस अभ्यर्थी को अंतरित कर दिया जाएगा। यदि ऐसे किसी मत पत्र पर, उस अभ्यर्थी के लिए दूसरी वरीयता अंकित की जाती है जिसे पहले ही दूसरे दौर में अपवर्जित किया जा चुका है, तो ऐसे मत पत्र को अविच्छिन्न अभ्यर्थी के लिए तीसरी वरीयता, यदि कोई हो, के संदर्भ में अंतरित कर दिया जाएगा। इसी प्रकार, दूसरे दौर में अंतरण के माध्यम से उसके द्वारा प्राप्त किए गए मतपत्रों की भी उन पर अंकित की गई तीसरी वरीयता के संदर्भ में संवीक्षा भी की जाएगी।

सूची में निम्नतम अभ्यर्थियों के अपवर्जन की यह प्रक्रिया अविच्छिन्न अभ्यर्थियों में से एक के कोटा प्राप्त करने तक दोहराई जाएगी।

7. निर्वाचन कराये जाने और मतों की गणना कराए जाने के बाद, निर्वाचन अधिकारी निर्वाचन का परिणाम घोषित करता है। उसके बाद, वह केन्द्र सरकार (विधि और न्याय मंत्रालय) तथा भारत के निर्वाचन आयोग को इस परिणाम की जानकारी देता है और केन्द्र सरकार राजपत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित व्यक्ति का नाम प्रकाशित कराती है।

उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवाद की स्थिति में

1. उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में पैदा होने वाले संदेहों और विवादों की भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच की जाती है और निर्णय किया जाता है। उसका निर्णय अंतिम होता है।

2. उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर भारत के उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनवाई की जाती है।

3. इस याचिका के साथ अनिवार्य रूप से 20,000/-रूपये की जमानत राशि जमा करनी होती है।

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