लोकसभा के तूफ़ानी सत्र में बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने तीन विधेयक पेश किए, जिनके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहने पर पद से हटाए जा सकेंगे।
इस प्रस्ताव पर विपक्ष ने जमकर विरोध जताया। सांसदों ने विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं और नारेबाजी करते हुए शाह की सीट तक मार्च किया। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक संवैधानिक सिद्धांतों और संघीय ढांचे के खिलाफ है, निर्दोष होने की धारणा को पलट देता है और राजनीतिक दुरुपयोग व पुलिस राज्य की आशंका को बढ़ाता है।
शाह ने विधेयकों का बचाव करते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की रक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “गंभीर आरोपों का सामना करने वाले लोगों का संवैधानिक पदों पर बने रहना अस्वीकार्य है।”
गृह मंत्री अमित शाह ने नए विधेयकों की समयबद्धता का बचाव करते हुए कहा कि भारत में पहली बार ऐसी स्थिति आई है जब सरकारें जेल से चलाई जा रही हैं। उन्होंने तमिलनाडु और दिल्ली के उदाहरण दिए। तमिलनाडु में एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि जेल में बंद एआईएडीएमके नेता शशिकला सरकार को प्रभावित कर रही थीं। दिल्ली में, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले वर्ष आबकारी नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद लगभग छह महीने तक जेल से सरकार चलाई थी।
मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा, जिसने कहा कि संविधान इस विषय पर चुप है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केजरीवाल को इस्तीफे के लिए मजबूर करने से इनकार किया और कहा कि यह निर्णय उन्हीं का है।
वर्तमान कानून के अनुसार निर्वाचित प्रतिनिधियों को केवल दोषसिद्धि के बाद पद छोड़ना पड़ता है। इसके विपरीत, सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तारी के तुरंत बाद निलंबित कर दिया जाता है और दोषसिद्ध होने पर बर्खास्त कर दिया जाता है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि जेल से सरकार चलाने पर कोई संवैधानिक रोक नहीं है, लेकिन व्यावहारिक रूप से यह असंभव-सा है।
भाजपा नेताओं का कहना है कि संविधान निर्माताओं ने कभी यह नहीं सोचा था कि कोई नेता जेल जाने के बावजूद पद नहीं छोड़ेगा। लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक हथियार बता रहा है। तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी और कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि यह विधेयक गैर-भाजपा सरकारों को निशाना बनाने के लिए लाया गया है और जांच एजेंसियां जिन मामलों में आरोप लगाती हैं, उनमें दोषसिद्धि की दर बेहद कम है।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह प्रस्ताव संविधान की बुनियादी संरचना को चोट पहुंचाता है, अनुच्छेद 21 और मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि विपक्ष शासित राज्यों की सरकारों को गिराने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल पहले ही चेतावनी दे चुके थे कि अगर वे इस्तीफा देंगे तो केंद्र सरकार अन्य आप नेताओं को झूठे मामलों में फंसा कर जेल भेजेगी और दिल्ली सरकार गिरा देगी। यही अब दोहराया जा रहा है।











