बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख लोगों के नाम सोमवार को निर्वाचन आयोग द्वारा सार्वजनिक कर दिए गए। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद उठाया गया जिसमें आयोग को निर्देश दिया गया था कि 19 अगस्त तक हटाए गए नामों का ब्योरा ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाए और 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
नाम हटाने की प्रक्रिया में अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत और डुप्लीकेट मतदाताओं को चिन्हित किया गया है। आयोग की ओर से बताया गया कि प्रभावित लोग अपनी EPIC संख्या की मदद से ऑनलाइन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और यदि वे संतुष्ट नहीं हों तो आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
इस विशेष प्रक्रिया के तहत बिहार में मतदाताओं की कुल संख्या 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ रह गई है। पटना जिले में सबसे अधिक 3.95 लाख नाम हटाए गए, उसके बाद क्रमशः मधुबनी, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज और अन्य जिलों का स्थान रहा।
आयोग के मुताबिक यह प्रक्रिया पारदर्शिता और मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के मकसद से पूरी की गई है। हालांकि विपक्ष और कुछ समूहों ने बिना समुचित सूचना और सत्यापन के इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने पर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता जताई है।











