भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के साथ ही बुधवार से यह शुल्क औपचारिक रूप से लागू हो गया। इस फैसले को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रशासनिक नीति का हिस्सा बताया जा रहा है। हालांकि अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने संकेत दिए हैं कि दोनों देशों के बीच संवाद के दरवाजे अब भी खुले हुए हैं। उन्होंने कहा कि “हालात जटिल हैं, लेकिन अंततः भारत और अमेरिका समझौते पर पहुंचेंगे।”
एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में बेसेंट ने यह भी कहा कि वे मई या जून तक भारत के साथ व्यापार समझौते की उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने नई दिल्ली की वार्ता रणनीति को “सक्रिय और सहयोगात्मक” बताया, जबकि इससे पहले उनके बयानों में भारतीय रुख “कुछ हद तक असहयोगी” करार दिया गया था।
इधर, भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ के बाद निर्यात को विविधता देने के प्रयास तेज कर दिए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि भारत अब 40 देशों में निर्यात विस्तार की रणनीति बना रहा है। इनमें ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और इटली जैसे यूरोपीय देश प्रमुख हैं। इसके अलावा नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मैक्सिको, रूस, तुर्की, बेल्जियम, यूएई और आस्ट्रेलिया भी इस सूची में शामिल हैं।
सरकारी योजना के तहत विभिन्न देशों में ट्रेड फेयर, थोक खरीदार-मीटिंग्स और सेक्टरवार प्रमोशन कैंपेन आयोजित किए जाएंगे। वाणिज्य मंत्रालय प्रमुख निर्यातकों के साथ परामर्श श्रृंखला शुरू करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें कपड़ा, केमिकल्स और जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों के उद्योग प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। बैठकें सीमित उत्पादों और बाजारों पर निर्भरता घटाने और नए क्षेत्रों में प्रवेश की रणनीति पर केंद्रित होंगी।
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ये प्रयास प्रस्तावित “एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन” की तैयारी का भी हिस्सा हैं, जिसके तहत निर्यातकों को लक्ष्य-विशेष सहयोग और वैश्विक बाजार से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल पहले ही संकेत दे चुके हैं कि अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के बाद भारत की प्राथमिकता अन्य बाजारों में निर्यात बढ़ाना है।











