राहुल के “वोट चोरी” आरोपों पर चुनाव आयोग का पलटवार, माफी की दी चेतावनी

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दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी “वोट अधिकार यात्रा” के दौरान चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” का आरोप लगा रहे थे, तभी मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन दावों को खारिज कर दिया।

ज्ञानेश ने स्पष्ट कहा कि बिना शपथपत्र दाखिल किए इन आरोपों की जांच संभव नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि गांधी सात दिन के भीतर माफी नहीं मांगते, तो आयोग इन आरोपों को आधारहीन मान लेगा।

राहुल गांधी ने आयोग से पाँच सवाल किए थे। इनमें मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा, भाजपा के हित में काम करने, मतदान से जुड़े वीडियो सबूत नष्ट करने, डिजिटल फॉर्मेट में मतदाता सूची न देने और विपक्ष को धमकाने जैसे आरोप शामिल थे। उन्होंने बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए।

चुनाव आयोग ने कहा कि वह पूरी मजबूती से मतदाताओं के साथ खड़ा है और “वोट चोरी” जैसे शब्द दरअसल करोड़ों मतदाताओं और लाखों चुनाव कर्मचारियों की ईमानदारी पर हमला हैं। आयोग ने यह भी बताया कि करीब तीन लाख नागरिकों की EPIC संख्या मेल खाने की शिकायतें आई थीं, जिन्हें सुधार लिया गया है।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ज्ञानेश कुमार ने एक संवैधानिक प्रमुख की तरह नहीं, बल्कि भाजपा प्रवक्ता की तरह प्रतिक्रिया दी। विपक्ष का कहना है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग प्रमुख ने एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की तरह व्यवहार किया और ठोस जवाब देने से बचे।

इस रुख से नाराज विपक्ष उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। हालांकि अधिनियम 2023 के प्रावधानों के तहत चुनाव आयुक्तों को हटाना उतना ही कठिन है जितना किसी न्यायाधीश को हटाना, और विपक्ष के पास जरूरी संख्या नहीं है। इसके बावजूद वे इसे सार्वजनिक मंच से बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि चूँकि मामला अब सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए दोनों पक्षों को आरोप-प्रत्यारोप से बचना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि सच्चाई पर कोई संदेह न रहे।

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