उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य में लगाए गए समान नागरिक संहिता(यूसीसी) में लिव इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर पीटिशनर से कहा है कि जब आप परवाह किए बगैर बिना शादी के एक साथ रहते हैं तो फिर यह आपकी निजता पर हमला कैसे हुआ। याचिकाकर्ता ने लिव इन रिलेशन में रहने का अनिवार्य रजिस्ट्रेश किए जाने या कैद की सज़ा और जुर्माना भरने के यूसीसी के प्रावधान के खिलाफ हाई कोर्ट में अर्ज़ी दी थी। उन्होंने कहा कि वे व्यथित हैं क्योंकि पंजीकरण कराने से उनकी गोपनीयता खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि अंतरधार्मिक युगल होने से उनके लिए समाज में रहना और अपने रिश्ते को रजिस्टर्ड कराना मुश्किल है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि कई लिव इन रिलेशन सफल विवाहों में बदले हैं पर इस प्रावधान से उनके भविष्य और निजता में बाधा खड़ी हो रही है। इस पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि आप समाज में रह रहे हैं…जंगल या किसी दूरदराज़ की गुफा में नहीं। पड़ोसियों से लेकर समाज तक सबको आपके रिश्ते के बारे में पता है। आप बगैर शादी के,बेशर्मी से एक साथ रह रहे हैं तो फिर लिव-इन-रिलेशन का रजिस्ट्रेशन निजता पर हमला कैसे हो सकता है ?
यूसीसी के खिलाफ दायर जनहित याचिका और अन्य याचिकाओं पर अदालत अप्रैल में एक साथ सुनवाई करेगी।
