अमरीका से अप्रवासी भारतीयों के मास डिपोर्टेशन पर सवाल और बवाल

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अमरीका से अप्रवासी भारतीयों के मास डिपोर्टेशन पर सवाल और बवाल

अमरीका ने अपने सैन्य विमान से अवैध रूप से अपने यहां रह रहे 104 भारतीयोंको भारत वापसभेज दिया है। अमरीकी सेना का एक विमान बिना वैध दस्तावेज़ों के रह रहे भारतीयों को लेकर बुधवार 5 फरवरी 2025 को अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा। निर्वासित लोगों में 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित लोगों में 19 महिलाएं और चार वर्षीय एक लड़का, पांच व सात वर्षीय दो लड़कियों सहित 13 नाबालिग शामिल हैं।

डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अमरीका गैरकानूनी प्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर रहा है। यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट के नियमों के अनुसारवीजा नियमों का उल्लंघन करने, आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बनने पर गैर-नागरिकों को हिरासत में लेकर निर्वासित किया जा सकता है। आव्रजन न्यायालय से निष्कासन आदेश के बादअमरीकी सरकार अवैध प्रवासियों को हवाई मार्ग से वापस भेजती है। पहले इसके लिए चार्टर्ड प्लेन का इस्तेमाल किया जाता था पर अबसैन्य परिवहन विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है।जिनके निष्कासन के अंतिम आदेश दिए गए हैं उनमें लगभग 18,000 भारतीय और 38,000 चीन से हैं। इनमें एक बड़ा हिस्सा मध्य और लैटिन अमरीकी देशों होंडुरास, ग्वाटेमाला, अल साल्वाडोर और मैक्सिको से हैजिनमें प्रत्येक से 200,000 से अधिक लोग हैं।निर्वासन का जो तरीक़ा अपनाया जा रहा हैउस पर आपत्ति जताई जा रही है। शहरों में अवैध प्रवासियों पर छापे मारे जा रहे हैं और पकड़े गए लोगों को सेना के विमानों में भरकर उनके देशों को भेजा जा रहा है।

अमरीका से भारतीय प्रवासियों के निष्कासन के मुद्दे पर मुख्य विपक्षी पार्टी कॉंग्रेस का कहना है कि भारतीय नागरिकों को हथकड़ी और कमर में चेन पहनाकर प्रताड़ित और निर्वासित करने की घटना अत्यंत दुखद है और सरकार को इस पर कड़ा ऐतराज जताना चाहिए। उसने दावा किया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने पहले जब निर्वासन की घटना हुई थी तो कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उसने कहा कि 2013 में जब भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अमरीका में हथकड़ी लगाई गई थी और स्ट्रिप सर्च किया गया था तो तत्कालीन विदेश सचिव सुजाता सिंह ने अमरीकी राजदूत नैन्सी पॉवेल के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था। तत्कलीन प्रधानमंत्री ने अमरीका की इस कार्रवाई को निंदनीय बताया था। भारत सरकार ने अमरीकी दूतावास को दी जाने वाली कई सुविधाएं वापस ले ली थीं जिनमें दूतावास कर्मियों के लिए खाद्य पदार्थों और शराब के रियायती आयात की अनुमति वापस लेना शामिल था। आयकर विभाग ने अमरीकी दूतावास के स्कूल की जांच शुरू कर दी थी। इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बयान दिया कि अमरीका से निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई नहीं हैयह कई वर्षों से चली आ रही है और यह केवल एक देश पर लागू होने वाली नीति नहीं है।विदेश मंत्री ने अमरीका से अब तक भारत निर्वासित किए गए लोगों के आंकड़े भी सदन के सामने रखे। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमरीकी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं कि निर्वासित लोगों के साथ दुर्व्यवहार न हो।

राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल में उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती के काफी चर्चे थे और दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देश में जाकर सार्वजनिक सभाओं में हिस्सा लेकर एक-दूसरे का समर्थन किया था। पांच साल पहले सितंबर 2019 में अमरीका के ह्यूस्टन में हाउडी मोदीकार्यक्रम में ट्रंप की मौजूदगी में पीएम मोदी ने कहा थाअबकी बार ट्रंप सरकार। इसके अगले साल ही अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले थे। इसके अगले साल ही फ़रवरी 2020 में अहमदाबाद में नमस्ते ट्रंपकार्यक्रम आयोजित किया गया। पर अब राष्ट्रपति ट्रंपके दूसरे कार्यकाल में अवैध प्रवासियों के मामले में ट्रंप प्रशासन का भारत के साथ रवैया अन्य देशों की तरह ही है। पीएम मोदी के राष्ट्रपति ट्रंप से इसी महीने मुलाक़ात होने वाली हैऔर दोनों नेताओं के रिश्तों में फिर से गर्मजोशी की उम्मीद की जा रही है।

आंकड़ों के अनुसार, अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफ़ोर्समेंट ने 2018 से 2023 के बीच 5,477 भारतीयों को अमरीका से निर्वासित किया।वर्ष 2020 में एक साल में सर्वाधिक 2,300 भारतीयों को निर्वासन हुआ था। पिछले साल सितंबर तक 1,000 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया गया था। अमरीका ने कहा है कि उसने 18,000 भारतीय नागरिकों को चिन्हित किया हैजो अवैध रूप से अमरीका में घुसे हैं। अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के प्रचार अभियान में दो प्रमुख मुद्दों को ज़ोर-शोर से उठाया गया था- एक टैरिफ़ और दूसरा अवैध प्रवासियों का। राष्ट्रपति बनने के पहले ही दिन से ट्रंप इन दोनों मुद्दों पर फ़ैसले ले रहे हैं और उन्हें लागू कर रहे हैं। ट्रंप बार-बार कह रहे हैं कि विश्व के नेतृत्व की बजाय घरेलू अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया जाना चाहिए इसीलिए वे मानवाधिकार परिषद, पर्यावरण संधि, डब्ल्यूएचओ, विदेशी फ़ंडिंग आदि से हट रहे हैं। ट्रंप का ज़ोरटैरिफ़ बढ़ाने, अत्याधुनिक तकनीक को बाहर जाने से रोकने औरअपने देश में मैन्युफ़ैक्चरिंग बढ़ा कररोज़गार के अवसर बढ़ाने पर है।

भारत की मौजूदा सरकार खुद भी अवैध प्रवासियों के मामले में ऐसा ही रुख़ रखती है और इसे सही मानती है। भारत की नीति बहुत साफ़ है कि ग़ैरक़ानूनी रूप से किसी विदेशी को किसी देश में नहीं जाना चाहिए।

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