प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस महीने मॉरिशस अगले महीने थाइलैंड और मई में रूस जाएंगे। पीएम मोदी इस महीने मॉरिशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। हर साल मॉरिशस 12 मार्च को अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। 12 मार्च 1968 को उसे ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली थी। मॉरिशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने कहा कि पीएम मोदी की आगामी यात्रा दोनों देशों के बीच घनिष्ट संबंधों का प्रमाण है।
पीएम मोदी अगले महीने थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। बिम्सटेक सम्मेलन- बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) के सदस्य देशों के बीच आयोजित होने वाला सम्मेलन है.।इस सम्मेलन का मकसद, सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ाना और क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करना होता है। बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड इसके सदस्य हैं। पाकिस्तान इसका सदस्य नहीं है। भारत इस उप-क्षेत्रीय समूह का अहम सदस्य है, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह शिखर सम्मेलन हर दो साल में आयोजित होता है। पीएम मोदी ने आखिरी बार साल 2018 में नेपाल के काठमांडू में आयोजित बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। इसका पिछला शिखर सम्मेलन 2022 में श्रीलंका द्वारा वर्चुअली आयोजित किया गया था। इस बार के सम्मेलन में पीएम मोदी की बांग्लादेश अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से मुलाकात होगी। भारत बांग्लादेश की सत्ता से हटाई गई पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फिलहाल शरण दे रहा है, जो 5 अगस्त से यहां हैं। हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को भारत के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा माना जाता था, इसलिए पाकिस्तानी आईएसआई और सेना की मदद से बांग्लादेशी कट्टरपंथियों द्वारा सरकार का तख्ता पलटने और वहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं के दमन से दोनों देशों के संबंधों में अभी काफी तनाव है।
अभी सार्क शिखर सम्मेलन की प्रक्रिया भी रुकी हुई है वैसी स्थिति में बिम्सटेक क्षेत्रीय सहयोग, संपर्क और सुरक्षा को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है। इस साल के शिखर सम्मेलन में थाईलैंड से बांग्लादेश को संगठन के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
पीएम मोदी नौ मई को विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेने रूस जाएंगे। रूस इस वर्ष 1941-45 के दौरान हुए ग्रेट पॅट्रियटिक वॉर में मिली जीत की 80 वीं वर्षगांठ मना रहा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर पिछले एक साल में पीएम मोदी की रूस की यह तीसरी यात्रा होगी। इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी की बीच द्विपक्षीय वार्ता भी होगी। फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बाद पीएम मोदी की राष्ट्रपति पुतिन से होने वाली मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को समाप्त करने में जुटे हैं जिसमें वे भारतीय प्रधानमंत्री की शांति और मेल मिलाप की नीति से प्रभावित होकर उनका साथ चाहते हैं। साथ ही वे रूस के साथ भारत के विशेष संबंध को भी जानते हैं और भारत की संतुलित कूटनीतिक पहल की सराहना करते हैं।
रूस की यात्रा के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच पेट्रो पदार्थ के आयात तथा रणनीतिक और रक्षा साझेदारी पर बातचीत होगी। भारत ने व्यापार घाटा कम करने के लिए अमेरिका से पेट्रो पदार्थों का आयात बढ़ाने पर सहमति दी है। यूक्रेन से युद्ध के दौरान भारत ने चीन के बाद रूस से सबसे अधिक पेट्रो पदार्थ आयात किए थे। इसके अलावा क़तर के साथ भी भारत का पहले ही गैस आयात के लिए क़रार है। इसी सिलसिले में पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के तुरंत बाद क़तर के अमीर ने भारत की यात्रा की थी।
भारत इस वर्ष निरंतर विश्व कूटनीतिक पहल के केन्द्र में रहेगा। सितंबर में क्वाड सम्मेलन में हिस्सा लेने अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आएंगे। इससे पहले संभवत: अगस्त में राष्ट्रपति पुतिन, भारत-रूस शिखर सम्मेलन में शिरकत करने भारत पहुंचेंगे।
