नारायण नारायण की टेर लगाते हुए जब नारद मुनि प्रभु के पास पहुंचे तो जगत पालक मोबाइल फोन पर बतियाने में व्यस्त थे। कोई गंभीर मंत्रणा चल रही थी। प्रभु कह रहे थे कि “जन्म से कोई बड़ा नहीं होता, कर्म से होता है। मैंने गीता के ज्ञान में भी कहा है कि जैसे कर्म करेगा वैसे फल देगा भगवान। इसलिए आप कर्म पथ पर आगे बढ़ें।” नारद जी शांत खड़े सुनने लगे,,मन ही मन अंदाजा लगाने लगे कि प्रभु किससे और किसके लिए क्या कह रहे हैं। उनका फाइव डब्ल्यू एण्ड वन एच तुरंत जागृत हो गया। जगत के पहले पत्रकार और सृष्टि के पहले संदेश वाहक मुनि नारद कुछ और विचार करते तभी प्रभु ने यह कहते हुए फोन काट दिया कि ओके…मैं देखता हूं और उनको सन्मति देने का प्रयास करता हूं। प्रभु को फ्री पाकर नारद जी ने गगनभेदी जयकारा लगाया
“भजमन नारायण नारायण हरि हरि
श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि
जय जय नारायण नारायण हरि हरि
ॐ नमो नारायण”
फिर नारद जी सहज उत्सुकतावश बोले प्रभु आपको कभी सीधे इंटरवीन करते नहीं देखा …कौन था। प्रभु मुस्काए,,बोले एक भक्त था..दिल्ली नगर निगम द्वारा यूजर चार्ज लगाने से दुखी था। कह रहा था कि दिल्ली में भाजपा सरकार ने आते ही सेवा शुल्क वसूलना शुरू कर दिया। कातर स्वर में कह रहा था भगवन बताइए कूड़े उठवाने का भी कहीं टैक्स लगता है। प्रॉपर्टी टैक्स में ज़मीन—सीवर साफ सफाई तो शामिल होती ही है तो फिर अधमरी जनता पर यह दोहरा करभार क्यों ?। ना मालूम किससे मेरा डायरेक्ट नंबर पा गया और फोन मिला दिया। कह रहा था कि एमसीडी मुख्यालय के बाहर फास्ट अनटू डेथ पर बैठा हुआ है और जब तक यूजर चार्ज वापस नहीं लिया जाता तब तक आमरण अनशन करेगा। नारद जी बोले प्रभु संकट में फंसे भक्तों की सहायता के लिए तो आप तुरंत प्रकट हो जाते हैं। श्रीमद्भागवत पुराण के अष्टम स्कंध में वर्णित गजेंद्र मोक्ष की कथा कौन नहीं जानता कि जब मगरमच्छ ने उस हाथी को तालाब के अंदर काफी दूर तक घसीट लिया और उसे खाने को उद्यत था तो उसने बहते हुए कमल के फूल को ऊपर उठाकर आपको “भगवान श्री हरि को पुकारा” और आपने साक्षात प्रकट होकर उसकी रक्षा की थी।
यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयं।
योस्मात्परस्माच्च परस्तं प्रपद्ये स्वयम्भुवम॥
नारद जी ने विनयशील मुद्रा में कहा कि हे प्रभुयह आपकी कृपा, शरणागति और भक्ति की महिमा को दर्शाती है। पर प्रभु उस व्यक्ति का क्या हल निकलेगा। एमसीडी मुख्यालय के पास पड़ा आपका भक्त कहीं काल के गाल में तो नहीं समा जाएगा। प्रभु बोले नहीं-नहीं शाम होते-होते उसे मदिरालय की याद आएगी और वह वहां से सीधा दारू मंडी पहुंच जाएगा। पर …मुनिवर अच्छा याद दिलाया …चित्रगुप्त जी से कहता हूं उस अधिकारी को अपने पास बुलाए जिसने यह नियम लागू किया है। वहां से उसे इन्द्रलोक में डेपुटेशन पर भेजे वहां अप्सराओं का शेड्यूलिंग बिगड़ गया है। एक अधिकारी चाहिए जो तय करे कि कौन अप्सरा कितने बजे नृत्य करेगी। नारद जी ने उत्कंठा से पूछा भगवन ये परलोक पोस्टिंग कितने दिनों की होगी। प्रभु हंस कर बोले मुनिवर इस नश्वर दुनिया से जाने वाले को आपने कभी वापस आते देखा है?
कहते हैं ज्ञानी, दुनिया है फ़ानी
पानी पे लिखी लिखायी
है सबकी देखी, है सबकी जानी
हाथ किसीके न आयी
प्रभु बोले मुनिवर छोड़िए इसे… आप पिछली बार किसी नायिका का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लाने गए थे ,,,,तो उसका क्या हुआ?
यह सुन कर नारद जी थोड़ा शर्माए …पर खुर्राट खोजी पत्रकार ठहरे सो बोले प्रभु इंटरव्यू की प्रति आपको सौंप कर थोड़ी देर में आता हूं। आप खुद ही देख लीजिए और कोई करेक्शन हो तो बता दें। इसके बाद तो सीधे यह प्रकाशित होगा द इमेज ब्रांडिंग मैग्जीन में। प्रभु मुस्काए बोले आप ही पढ़ कर सुनाइए मुनिवर। पर नारद जी झेंप कर कन्नी काट गए।
प्रभु ने नारद जी को ओट में जाते देखा तो उस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू पर नज़र दौड़ाने लगे।
पृथ्यवीलोक में साक्षात्कार: नारद मुनि और ममता कुलकर्णी
नारद मुनि: नमस्कार, ममता जी! आपका स्वागत है। आपकी फिल्मों में ‘सेक्सी’ और ‘लटके-झटके’ वाले गानों ने तो जैसे तहलका मचा दिया है। क्या कहेंगी आप इस बारे में?
ममता कुलकर्णी: नमस्कार, नारद जी! देखिए, फिल्म इंडस्ट्री में जो ट्रेंड है, हम उसी के अनुसार चले। ‘सेक्सी’ शब्द तो जैसे हमारे लिए एक टैग बन गया है। लेकिन अब सोचती हूं, शायद ‘साध्वी’ शब्द ज्यादा फिटिंग होता।
नारद मुनि: बिल्कुल! वैसे, आपके विवादास्पद फोटोशूट्स और अंडरवर्ल्ड कनेक्शंस की कहानियां तो स्वर्गलोक तक पहुंची थीं। क्या सच में विक्की गोस्वामी से शादी की थी?
ममता कुलकर्णी: अरे नारद जी, अफवाहों का क्या है! हमने तो सुना था कि आप भी कभी-कभी ‘संग्राम’ में रहते हैं, लेकिन क्या कभी ‘साधना’ की है?
नारद मुनि: वाह, ममता जी! आपके व्यंग्य का जवाब नहीं। लेकिन हाल ही में कुम्भ मेले में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पदवी ग्रहण करने और फिर विवादों में घिरने की खबरें आईं। उस बारे में कुछ कहना चाहेंगी?
ममता कुलकर्णी (मुस्कुराते हुए) मतलब?
नारद मुनि: ममता जी। आपने हाल ही में कुम्भ मेले में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पदवी ली, और उस पर कुछ विवाद भी हुए। क्या इस बदलाव के कारण आपको कुछ लोगों की कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी?
ममता कुलकर्णी: देखिए, साध्वी जीवन अपनाने का हमारा उद्देश्य है समाज सेवा करना। लेकिन कुछ लोग तो जैसे हमारे सिर ना मुंडवाने के भी खिलाफ थे! कहा तो यहां तक गया कि सिर नहीं मुंडवाने पर पद से हटा दिया गया। क्या जमाना आ गया है।
नारद मुनि: सच में, यह तो बड़ा ही विचित्र प्रसंग है। लेकिन ममता जी, आपकी फिल्मों के वो गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं। आपके गाने आज भी कई लोगों की मस्ती का हिस्सा हैं, क्या कभी वापसी का इरादा है?
ममता कुलकर्णी: नारद जी, वापसी का क्या है! हमने तो ‘साध्वी’ बनकर समाज सेवा का रास्ता चुना है। लेकिन अगर कभी ‘लटके-झटके’ दिखाने का मन किया, तो सबसे पहले आपको बुलाऊंगी!
नारद मुनि: वाह, ममता जी! आपकी बातों में सच में मिठास है। आपके आने से आज का दिन और भी खास हो गया। ममता जी! आप तो फिल्म इंडस्ट्री की चमचमाती सितारा रही हैं, लेकिन अब जब से आपने किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद ग्रहण किया, तो लगता है आपने पूरी दुनिया को चौंका दिया।
(हंसी में)
आपके फिल्मी गाने तो आज भी लोगों की जुबान पर हैं, जैसे “मुझको राणा जी माफ करना, गलती म्हारे से हो गई…”। क्या आप इसे गाकर हमें कुछ बता सकती हैं कि गलती कैसे हो गई ?
ममता कुलकर्णी:
(हंसी में)
नमस्कार मुनि जी! आप तो सीधे दिल की बात पूछने लगे!
(गाना गाने की मुद्रा में)
“मुझको राणा जी माफ करना, गलती म्हारे से हो गई…”
(मुस्कुराते हुए)
यह गाना बिल्कुल मेरी ज़िंदगी का आईना है! जब भी मैं फिल्मी गलियों में कुछ “अवधि” की गलतियां करती हूं तो यही गाना खुद से गा लेती हूं।
(हंसी में)
वो समय ऐसा था कि बिना माफी मांगे तो कुछ भी नहीं चलता था! फिर भी, आजकल, जब साध्वी जीवन की ओर बढ़ी हूं, तो ये गाना याद आता है और सोचा—अच्छा किया, गलतियों से ही तो सीख मिलती है!
नारद मुनि:
(हंसी में)
वाह, ममता जी! आप तो गाने का जादू छेड़ देती हैं!
(हंसी में)
लेकिन यह ‘गलती’ वाली बात तो समझ में आती है, मगर क्या आपको लगता है कि फिल्मी करियर में आपके “लटके-झटके” और “सेक्सी” वाले गाने भी एक तरह की गलती ही थे?
ममता कुलकर्णी:
(हंसते हुए)
नारद जी, सच कहूँ तो फिल्म इंडस्ट्री में यह सब चलता है।
(गाना गाते हुए)
“उदत मंहगिया और फिर मस्ती में नाच लो, दुनिया डोल जाए!”
(मुस्कुराते हुए)
यही है उस दौर का ट्रेंड—इमोशनल नहीं, तो कम से कम एंटरटेनमेंट से भरपूर!
(धीरे से)
लेकिन अब, जब समाज सेवा की ओर कदम बढ़ाए हैं, तो इन गानों से जुड़ी हुई मस्ती तो थोड़ी कम हो गई है। लेकिन यादें तो हमेशा रहेंगी!
ममता कुलकर्णी:
(गहरी सांस लेते हुए)
नारद जी, जीवन में कभी कुछ अच्छा करने का फैसला होता है, तो कुछ लोग इसे समझ नहीं पाते।
(गाना गाते हुए)
“कभी अलविदा ना कहना, ये रास्ता छोड़ दूं सच का तो कोई नहीं होता!”
(मुस्कुराते हुए)
यह पंक्तियाँ मेरे लिए सच हैं। मैं अपनी आध्यात्मिक यात्रा में एक नया मोड़ ले रही हूं, लेकिन हर बदलाव के साथ लोगों की प्रतिक्रियाएं मिलती ही हैं। मैं जानती हूं कि मेरी पुरानी छवि और नए फैसले आपस में टकराते हैं, लेकिन अंततः वही सच है जो दिल से किया जाए।
नारद मुनि:
सच है, ममता जी। जीवन की यात्रा में बदलाव तो आते रहते हैं।
(थोड़ा हंसी में)
लेकिन अगर कभी आपको ‘लटके-झटके’ दिखाने का मन हो, तो कृपया ‘बॉलीवुड को न भूलिएगा!
ममता कुलकर्णी:
(हंसी में)
नारद जी, अगर कभी मुझे ‘बॉलीवुड’ की वापसी करने का मन हुआ, तो सबसे पहले आपको बुलाऊंगी!
(हंसी में)
और फिर से “मुझको राणा जी माफ करना” वाला गाना गा लेंगे!
नारद मुनि:
(हंसी में)
ममता जी, आपने तो दिल खुश कर दिया! यह साक्षात्कार सच में मजेदार रहा।
(हंसी में)
आपका धन्यवाद! और याद रखें, चाहे कोई भी रास्ता हो, अगर दिल से किया जाए, तो कोई भी बदलाव सकारात्मक हो सकता है।
+++++++++
प्रभु जब इंटरव्यू पढ़ चुके तो दोबारा सहज भाव से नज़र मारने लगे। मां लक्ष्मी बड़ी देर से प्रभु लीला देख रही थीं। उलाहने भरे स्वर में बोलीं अब क्या ऐसे ही साक्षात्कारों के लिए भेजोगे पांचरात्र, नारद पुराण जैसे कई ग्रंथों के रचनाकार को। बुद्धि भ्रष्ट हो गई है क्या? आगे से सीधे जनता से जुड़े रिपोर्टिंग के लिए ही भेजो अपने प्यारे पत्रकार को।
प्रभु चुपचाप सुनते रहे। थोड़ी दूर खड़े नारद जी मन ही मन भजन गुनगुना रहे थे
“दूर खड़े क्या देख रहे हो,
सांवलिए सरकार,
कन्हैयां ले चल परली पार,
जहां बिराजे राधे रानी,
अलबेली सरकार,
कन्हैया ले चल परली पार…..”
नारद जी जयकारा लगाते हुए वापस लौटे।
“जय कन्हैया लाल की मदन गोपाल की”
प्रभु ने आर्शीवाद दिया और नारद जी उड़ चले नई खबर लाने।
